रतन टाटा से जुडी इन बातो के बारे में शायद ही आप जानते होंगे

रतन टाटा आज जिस मुकाम पर हैं वह सिर्फ उनकी मेहनत का नतीजा है जोकि उन्होंने अपने ऊपर हुए अपमान का उत्तर देने के लिए की थी। आज कल की दुनिया में लोग अपने ऊपर हुए अपमान को सहन नहीं कर पाते और उसी वक्त अपना सारा गुस्सा सामने वाले पर निकाल देते हैं पर रतन टाटा ने ऐसा ना करते हुए अपने सारे गुस्से को  काम में तब्दील करके  आज इतना बड़ा  एंपायर खड़ा किया है

You would hardly know about these things related to Ratan Tata

किसी महान इंसान ने कहा है कि अपने अपमान का बदला गुस्से से नहीं  बल्कि समझदारी से एक सफल इंसान बनकर लेना चाहिए । आज की दुनिया में हर एक इंसान दूसरे की सफलता से जलता है  इसलिए तो कहते हैं  सफल बनके  अपने अपमान का बदला लो और इसी रास्ते पर चलकर रतन टाटा ने टाटा कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है

टाटा संस के अंदर 100 से ज्यादा कंपनियां आती हैं। इन कंपनियों में सुई से लेकर स्टील, चाय से लेकर 5 स्टार होटल तक और नैनो से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ बनाया जाता है और आज हम इन्हीं कंपनियों के मालिक  रतन टाटा  के जीवन की उस कहानी को  जाने वाले हैं जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने की प्रेरणा दी

रतन टाटा के जीवन के उस कहानी को जानने से पहले अगर हम उनके बारे में थोड़ा और विस्तार से जान लें तो उस कहानी को समझने में हमें सहायता मिलेगी रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था जोकि  टाटा समूह के संस्थापक  जमशेद  जी  के पोते  थे रतन टाटा के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए पर उन्होंने हार नहीं मानी 

उन्होंने आईबीएम की नौकरी को छोड़ दिया और उसके बाद 1961 में टाटा ग्रुप के साथ एक कर्मचारी के रूप में  अपने करियर कि  शुरुआत की। और इसी प्रकार मेहनत करते गए और उनकी मेहनत का ही नतीजा था के वे साल 1991 में टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बन गए। फिर वे 2012 में रिटायर हो गए

उन्होंने अपनी सूझबूझ और समझदारी से टाटा मोटर्स को ऊंचे शिखर पर पहुंचा दिया। रतन टाटा का कहना था कि वह फैसला लेने से पहले यह नहीं सोचते कि वह सही है या गलत उनका कहना था कि वह फैसला ले लेते थे फिर उसे सही साबित करके बताते थे

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