नवपाषाणकाल के स्रोत के बारे में जानकारी
नवपाषाणकाल के स्रोत
नवपाषाणकाल के स्रोत के बारे में सामान्य जानकारी निम्नलिखित है
(1) कुचाई- उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित है। कुचाई का उत्खनन किया गया लेकिन इसकी तिथि निर्धारित नहीं हो सकी है। कुचाई को विद्वान नवपाषाणयुगीन स्थल मानते हैं। यहां से नवपाषाणिक चरण की वस्तुओं में मुठधारी कुल्हाड़ियों, शल्क, फरसा, हस्तनिर्मित मृदभांड आदि साक्ष्य मिले हैं
(2) मेहरगढ़- पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बोलन दर्रे के निकट है। यहां से 7000 – 6000 ईसवी पूर्व के कृषि और पशुपालन के साक्ष्य मिले हैं। इसी समय से भारतीय उपमहाद्वीप में नवपाषाणकाल की शुरुआत मानी जाती है यह भारत में सर्वप्रथम गेहूं और जौ की खेती का स्थल है।
(3) बरुडीह- बरुडीह पूर्वी भारत में स्थित एक नवपाषाणकालीन स्थल है यह झारखंड राज्य की सिंहभूमि जिले में स्थित है। यहां से अनेक नवपाषाणकालीनयुग के उपकरण मिले हैं।
(4) किली गुल मुहम्मद– यह स्थल वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा घाटी में स्थित है। यहां के उत्खनन से संस्कृति के चार चरण प्राप्त हुए हैं पहला चरण 8000 ईस्वी पूर्व का लगभग है। जबकि अंतिम चौथे चरण में मिट्टी के ईटों और पत्थरों से निर्मित मकानों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
(5) राणा घुंडई– वर्तमान में स्थल पाकिस्तान के उत्तरी बलूचिस्तान प्रांत लोरालाई घाटी में स्थित है। यहां के उत्खननों से संस्कृति के पांच स्तरों का पता चला है सामान्यत: इसे सिंधु सभ्यता के काल का स्थल माना जाता है। यहां से प्राप्त उत्कृष्ट मृदभांडों पर काले कूबड़ वाले बैलों को चित्रित किया गया है।
(6) गुमला- गुमला पाकिस्तान में डेरा इस्माइल खां के नजदीक उत्तर पश्चिमी में गोमल नदी घाटी में स्थित है। यहां से हमें हड़प्पा काल के प्रारंभिक के समय की संस्कृति के साक्ष्य मिले हैं। यहां के उत्खनन से हमें नवपाषाण काल एवं ताम्र पाषाण काल के विकास के चरण भी मिले हैं। इस स्थल से सिंग वाले देवता की आकृति के चित्रण वाले काले और लाल रंग के मृदभांड सीमित मात्रा में मिलें है।
(7) रहमान ढेरी– रहमान ढेरी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में डेरा इस्माइल खान के पास स्थित है। यह हड़प्पा सभ्यता से संबंधित स्थल है लेकिन इसकी जड़ नवपाषाण काल तक जाती है ऐसा माना जाता है यहां से लगभग 4000 ईसवी पूर्व में ही नगरीकरण की शुरुआत हो गई थी यहां से प्राप्त फिरोजा रतन नीलम के मनको से मध्य एशिया के साथ संबंधों का पता भी चलता है।
(8) सरायखोला- सरायखोला वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है तक्षशिला संग्रहालय से मात्र 4 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इसकी खोज 1960 में की गई। यहां से पाकिस्तान में शुरुआती कृषि समुदायों के बारे में जानकारी मिलती है।
(9) गुफकराल- गुफकराल भी जम्मू-कश्मीर में स्थित एक नवपाषाणकालीन स्थल है जो श्री नगर से 41 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व दिशा में पुलवामा जिले के तर्रार कस्बे के निकट स्थित है। यहां के लोग कृषि एवं पशुपालन दोनों कार्य करते थे यहां से पालिशदार औजारों के साथ हड्डियों के उपकरण प्राप्त हुए हैं।
(10) बुर्जहोम- जम्मू कश्मीर में स्थित एक नवपाषाण कालीन स्थल है। यह श्रीनगर से 16 किलोमीटर उत्तर पश्चिम दिशा में स्थित है यहां से गर्तावास और कब्रों में मानव के साथ कुत्ते को दफनाने के साक्ष्य मिले हैं यहां के गोलाकार और अंडाकार गर्तावास ठंड से बचने के लिए होते थे। यहां से हमें हड्डियों के बने हुए तीर , सुइयां और दरातियों मिली है।
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