भारत में पंचायती राज व्यवस्था अर्थात स्थानीय स्वशासन

भारत में पंचायती राज व्यवस्था:-

परिचय-पंचायती राज व्यवस्था अर्थात स्थानीय स्वशासन का मतलब गांव स्तर पर  ब्लाक स्तर पर और जिला स्तर पर सरकार स्थापित करना जिससे स्थानीय लोगों की प्रत्यक्ष रूप से सरकार में भागीदारी हो सके और जू भी लाभकारी योजना केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बनाई जाती है उन्हें सही समय पर सही लाभार्थी तक पहुंचाने में स्थानीय सरकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इस  हेतु स्थानीय स्वशासन की स्थापना की गई है तथा साथ में स्थानीय स्वशासन व्यवस्था के तहत स्थानीय सरकार को 29 विषयों पर कार्य करने की जिम्मेदारी संविधान द्वारा प्रदान की गई है।

भारत में पंचायती राज व्यवस्था

भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना सर्वप्रथम लॉर्ड रिपन द्वारा की गई थी भारत में इसे सर्वप्रथम मद्रास में लागू किया गया लेकिन पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाई इसलिए इसे समाप्त कर दिया गया इसके पश्चात हमारे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले से पंचायती राज व्यवस्था अर्थात स्थानीय स्वशासन का शुभारंभ किया गया पंचायती राज व्यवस्था लागू करने का मुख्य उद्देश्य सत्ता का विकेंद्रीकरण करना जिससे भारत के किसी भी कोने में बैठा आम आदमी की शासन में भागीदारी सुनिश्चित हो सके स्थानीय स्वशासन को लागू करने का प्रावधानों का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 के तहत डीपीएसपी के अंतर्गत जगह दी गईबाद में स्थानीय स्वशासन को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए विभिन्न समितियां बनाई गई और उनके द्वारा विविध प्रकार की रिपोर्ट दी गई जो कि स्थानीय स्वशासन को सुचारु रुप से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

  1. बलवंत राय मेहता समिति 1957-इस समिति ने त्रिस्तरीय पंचायत की वकालत की ग्रामीण स्तर पर ब्लॉक स्तर पर और जिला स्तर पर
  2. अशोक मेहता समिति 1977-इस समिति ने दो स्तरीय पंचायत की वकालत की मंडल स्तर अर्थात ग्राम स्तर और जिला स्तर
  3. जीवीके राव समिति 1985-इस समिति ने यह सिफारिश की की वास्तविक शक्तियों पंचायती राज व्यवस्था को मिलनी चाहिए

एम एल सिंघवी समिति 1986-इस समिति ने प्रमुख तीन  सिफारिश की (1)  संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए (2) न्याय पंचायत की वकालत और (3) त्रिस्तरीय पंचायत की वकालत

73वां संविधान संशोधन 1992

73वां संविधान संशोधन 1992 में इसे संवैधानिक दर्जा मिला

भारतीय संविधान के भाग-2 अनुसूची 11 अनुच्छेद 243a से 243o तक इसके विषयों में प्रधानों का उल्लेख किया गया है कृष 3 पंचायती राज व्यवस्था को अपनाया गया है इस संबंध में यदि किसी राज्य की जनसंख्या 2000000 से कम होगी तो ऐसी स्थिति में ब्लॉक स्तर को हटा दिया जाएगा और केवल दोस्तों पर पंचायती राज व्यवस्था लागू रहेगी

सीटों का आरक्षण:-

महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण एक तिहाई (कम से कम) किया गया है

ऐसी और एसटी के सीटों का आरक्षण:-

एससी और एसटी के सीटों का आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में राज्य सरकार को यह जिम्मेदारी दी गई है की जनसंख्या के अनुपात में एससी और एसटी के सीटों का आरक्षण तय करें

स्थानीय स्वशासन का चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग करवाएगा

इनकी सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है यदि किसी भी स्थिति में पंचायतों का विघटन हो जाता है तो ऐसी स्थिति में छः में पुन चुनाव होगा

स्थानीय स्वशासन के उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए और स्थानीय स्वशासन के उम्मीदवार पागल तथा दिवालिया न हो

प्रत्येक 5 वर्षों के लिए राज्य वित्त आयोग का गठन राज्य के राज्यपाल द्वारा किया जाता है

Read more…

अन्य खबरे पढ़े -

Disclaimer: इस आर्टिकल को कुछ अनुमानों और जानकारी के आधार पर बनाया है हम फाइनेंसियल एडवाइजर नही है आप इस आर्टिकल को पढ़कर शेयर बाज़ार (Stock Market), म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual Fund), क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) निवेश करते है तो आपके प्रॉफिट (Profit) और लोस (Loss) के हम जिम्मेदार नही है इसलिए अपनी समझ से निवेश करे और निवेश करने से पहले फाइनेंसियल एडवाइजर की सलाह जरुर ले

Similar Posts

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *