अजमेर जिले के बारे में विस्तृत जानकारी
अजमेर जिले के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है
सांप्रदायिक सद्भाव का संगम, राजस्थान की हृदय स्थल व भारत के मक्का आदि नाम से प्रसिद्ध।
सोनीजी की नसियाँ(लाल मंदिर)—स्व.सेठ मूलचन्द जी सोनी द्वारा निर्मित यह जैन संप्रदाय का प्रसिद्ध मंदिर है इसमें प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ भगवान की मूर्ति एवं समवशरण की रचना दर्शनीय है।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा— प्रथम चौहान सम्राट विग्रहराज चतुर्थ द्वारा निर्मित संस्कृत विद्यालय (सरस्वती कठां भरण महाविद्यालय) जिसे ध्वस्त करवाकर मुहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1194 ई. में एक मस्जिद का निर्माण किया।
सावित्री मन्दिर—पुष्कर के दक्षिण में रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्माजी की प्रथम पत्नी सावित्री का मन्दिर है।
अकबर का किला –
उपनाम—शास्त्रागार / मेग्जीन का किला/ मुगल किला
इस स्थल दुर्ग का निर्माण 1570 ई. में अकबर ने ख्वाजा साहब के सम्मान में करवाया।
अकबर के किले में 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध की योजना बनी थी। मुस्लिम दुर्ग निर्माण पद्धति से बनाया गया राज्य का एकमात्र दुर्ग।
यह अकबर द्वारा 1571-72ई.में सुरक्षित आवास स्थल के रूप में निर्मित किया गया था।। सम्राट जहागीर इसी दुर्ग की खिड़की में बैठकर जनता की समस्या सुनते थे।
सर टोमस रो यहीं पर जहांगीर से मिला था
अजयमेरु दुर्ग/तारागढ़
उपनाम—अरावली का अरमान/ राजस्थान का हृदय/ राजपूताने की कुंजी/ पूर्व का जिब्राल्टर/ सर्वाधिक स्थानीय आक्रमण वाला दुर्ग/ गढ़ बीठली।
इस गिरी दुर्ग का निर्माण 1113 ई. में गढ़बीठली पहाड़ी पर अजयराज ने 870 मी. की ऊँचाई पर करवाया। मेवाड़ के राणा रायमल की युवराज पृथ्वीराज ने अपनी वीरांगना पत्नी तारा के नाम पर इसका नाम तारागढ़ रखा।
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह
इस दरगाह का निर्माण इल्तुतमिश ने करवाया। इसका निर्माण कार्य हूमायुँ के काल में पूरा हुआ था। ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती संजरी (फारस) से मौहम्मद गौरी के साथ पृ़थ्वीराज चौहान तृतीय के काल में भारत आये थे।
दरगाह में हर साल हिजरी सन् के रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक विशाल उर्स भरता है जो साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा संगम है इस उर्स का उद्घाटन भीलवाड़ा निवासी गौरी परिवार करता है।
मक्का के बाद मुस्लिम सम्प्रदाय का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल अजमेर है।
फॉयसागर—सन्1891-92 में इंजीनियर फॉय के निर्देशन में इसका निर्माण अकाल राहत हेतु करवाया। यह झील अजमेर जिले का प्रमुख पेयजल स्त्रोत है। इस झील में पानी अधिक होने पर बाण्डी नदी के नालों से आनासागर में पहुँच जाता है।
पुष्कर—धार्मिक मान्यता के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण ब्रह्माजी ने फूल गिराकर किया जबकि भूगोल के अनुसार यह एक प्राकृतिक ज्वालामुखी झील है।
अजमेर शहर की उत्तर पश्चिम में 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल यहां पवित्र पुष्कर झील है जिसमें 52 घाट है पुष्कर को आदि तीर्थ वह तीर्थराज कहा गया है जिसका एक अन्य नाम कौकण तीर्थ भी है।
आनासागर—इस झील का निर्माण पृथ्वीराज—III के दादा अर्णोराज (आनाजी) ने 1135-50(ncert कक्षा 8 के अनुसार 1137ई.) मेंचन्द्रा नदी को रोककर तारागढ़ व नाग पहाड़ के बीच तुर्कों को हराने के उपलक्ष में 1137 में करवाया।
चन्द्रा नदी पुष्कर के अरण्य से निकलती है। इस झील के किनारे जहांगीर ने दौलतबाग (वर्तमान—सुभाष उद्यान) बनवाया तथा शाहजहाँ ने 5 बारहदरियों का निर्माण करवाया।
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