विवाह के बारे में सब कुछ और उनके प्रकार
विवाह के बारे में
विवाह के बारे में सब कुछ और उनके प्रकार के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित हैं’
विवाह’शब्द का अर्थ है- वधू को उसके पिता के घर से विशेष रूप से ले जाना अथवा किसी विशेष कार्य के लिए अर्थात पत्नी बनाने के लिए ले जाना। संस्कृत साहित्य में भी अनेक शब्द प्रचलित है, जैसे- उद्वाह, परिणय, उपयम, पाणिग्रहण आदि। ‘उद्वाह’ का अर्थ है – वधू को उसके पिता के घर से ले जाना। ‘परिणय’ का अर्थ है – चारों ओर घूमना यानी अग्नि की परिक्रमा करना। ‘उपयम’ का अर्थ है – किसी को निकट लाकर अपना बनाना तथा ‘पाणिग्रहण’ का अर्थ है- वधू का हाथ ग्रहण करना।
वैदिक काल से लेकर सूत्रकाल तक भारत में आठ प्रकार के विवाह प्रणालियां विकसित हो चुकी थी।जो इस प्रकार है-
(1) ब्रह्म विवाह- इसमें पिता अपनी कन्या के लिए सुयोग्य वर की तलाश कर विधि पूर्वक अपनी कन्या उसे सौंप देता था वर से कोई वस्तु नहीं ली जाती थी।समस्त विवाह- प्रणालियों में यह श्रेष्ठ मानी गई थी।
(2) दैव विवाह- इसमें पिता अपनी कन्या का विवाह यज्ञ कराने वाले पुरोहित के गुणों एवं योग्यता से प्रभावित होकर उसके साथ कर देता था।
(3) आर्ष विवाह- इस विवाह प्रणाली में कन्या का पिता वर पक्ष से एक गाय और बैल लेकर कन्या का विवाह करता था। यह प्रणाली एक प्रकार से क्रय-विक्रय पर आधारित थी।
(4) प्राजापत्य विवाह- यह विवाह प्रणाली ब्रह्म विवाह के ही अनुरूप है। प्रणाली के अंतर्गत वर की विधि पूर्वक पूजा करके कन्या का दान किया जाता था तथा वर-वधू को निर्देश दिया जाता था कि गृहस्थ जीवन में दोनों मिलकर आजीवन धर्माचरण करें।
(5) गांधर्व विवाह- आज के युग में हम इसको प्रेम विवाह भी कह सकते हैं। जब युवक- युवती परस्पर प्रेमवश काम के वशीभूत होकर अपने माता-पिता की उपेक्षा करके विवाह कर लें तब इस प्रणाली को गांधर्व विवाह कहा जाता है।
(6) आसुर विवाह- इस प्रकार की विवाह प्रणाली में क्रय-विक्रय की प्रधानता है। जब कन्या के माता-पिता कन्या प्रदान करने के बदले में वर से धन लेते हैं तो इसे आसुर विवाह कहा जाता है।
(7) राक्षस विवाह- मनु के अनुसार कन्या पक्ष वालों को मारकर अथवा उनको घायल करके, गृह के द्वार आदि तोड़कर तथा रोती- चिल्लाती कन्या का बलात् हरण करके लाना राक्षस विवाह कहलाता है।
(8) पैशाच विवाह- विवाह की आठों प्रणालियों में सबसे निम्न कोटि की प्रणाली के साथ विवाह है। इसके अंतर्गत सोती हुई, बेहोश, पागल, मदहोश, उन्मत, मदिरापान की हुई अथवा मिल जाती हुई कन्या को जब व्यक्ति काम युक्त होकर जबरदस्ती उसके साथ संभोग करते उसे अपनाता है तब वह पैशाच विवाह कहलाता है स्मृतियों में ऐसी विवाह की भर्त्सना की है। धर्मशास्त्रकारों ने भी इसे अत्यंत जघन्य,अधर्म और निन्दित माना है।
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